आगमन का चौथा रविवार 18 दिसम्बर,
प्रवेश- अग्रस्तवः
हे स्वर्गो! ऊपर से ओस की बूँदे बरसाओ । हे मेघो ! धर्मियों पर बरसो । मुक्ति का अंकुर धरती की सतह तोड़कर फूट निकले। इसायस 45:8
पु० प्रिय भाइयो और बहनों, आज हम आगमन के चौथे और अंतिम रविवार में प्रवेश करते हैं। आज की पूजन विधि हमें ईश्वर की अद्भूत योजना पर चिन्तन कर अपने विश्वास में पक्का होने के लिए निमंत्रण देती है। बहुत ही जल्दी हम येसु ख्रीस्त का जन्म पर्व मनायेंगे। हम इसकी तैयारी में बहुत व्यस्त हैं और क्या करेंगे कैसे करेंगे इस तरह की मन दिल में कई चिन्तायें भी हैं। जन्म पर्व का केन्द्र बिन्दु क्या और कौन है? जिसके लिए हम ये सब कर रहे हैं। वह क्या चाहता है क्या कभी अपनी व्यस्तता में इन सवालों पर गौर किया है? अगर हम येसु ख्रीस्त के बिना और उसकी शिक्षा की परवाह किये बिना जन्म पर्व मनाने की तैयारी कर रहें हैं और बहुत व्यस्त हैं तो ये केवल दुनियायी तैयारी होगी। इससे जो हमें मिलनी चाहिये वो नहीं मिल पायेगी। ये ठीक वर-वधु के बिना विवाह समारोह में भाग लेने के समान होगा। अत: हम सोच समझ कर इसकी तैयारी करें। बाह्य तैयारी और फिजूल खर्च से बचें और अध्यात्मिक तैयारी और भले काम और जरूरतमंदों की मदद पर अधिक जोर दें। हम एक दूसरे को क्षमा कर अपने संबंध को ठीक करें। ये ही हमें सच्ची और अनन्त आनंद का एहसास करायेगी और येसु ख्रीस्त, जन्म पर्व के केन्द्र बिन्दु इसी प्रकार की तैयारी चाहते हैं। आइये, नम्रता पूर्वक अपने छोटे-बड़े सभी कमजोरियों को स्वीकार करें और अपने को प्रेम बलिदान में भागी होने योग्य बनायें।
महिमागान नहीं लिया जाता है।
संगृहीत प्रार्थना
हे प्रभु, स्वर्गदूत के संदेश द्वारा हम तेरे पुत्र खीस्त के देहधारण का रहस्य जान गये हैं। हम तुझसे निवेदन करते हैं कि तू अपनी कृपा हमारे हृदयों में प्रवाहित कर दे, ताकि हम उन्हीं खोस्त के दुःखभोग तथा क्रूस के द्वारा उनके पुनरूत्थान की महिमा तक पहुँच सकें, जो तेरे तथा पवित्र आत्मा के संग एक ईश्वर होकर युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
पहला पाठ
यहूदियों के देश पर शत्रुओं का आक्रमण होने वाला था। राजा आख़ाज को विजय की कोई आशा नहीं थी और ईश्वर से कोई चिह्न माँगने का साहस भी नहीं था। इसायस को ईश्वर पर भरोसा था, क्योंकि उसे विश्वास था कि ईश्वर अपनी प्रतिज्ञा अवश्य पूरी करेगा। दाऊद के वंश में एक बालक पैदा होगा जो ईश्वर की प्रजा को मुक्ति दिला देगा
नबी इसायस का ग्रंथ 7:10-14
"कुँवारी गर्भवती है। "
प्रभु ने फिर आखाज से कहा, “चाहे अधोलोक की गहराई से हो, चाहे आकाश की ऊँचाई से, अपने प्रभु ईश्वर से अपने लिए एक चिह्न माँगो।'' आख़ाज ने उत्तर दिया, "जी नहीं। मैं प्रभु की परीक्षा नहीं लूँगा । " इस पर उसने कहा, " हे दाऊद के वंश ! मेरी बात सुनो। के साथ लौटेंगे। क्या मनुष्यों को तंग करना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं है, जो तुम ईश्वर के धैर्य की भी परीक्षा लेना चाहते हो ? प्रभु स्वयं तुम्हें एक चिह्न देगा। और वह यह है - एक कुँवारी गर्भवती है। वह एक पुत्र को प्रसव करेगी और वह उसका नाम एम्मानुएल रखेगी, जिसका अर्थ है: प्रभु हमारे साथ है।
प्रभु की वाणी ।
भजन स्तोत्र 23:1-6
अनुवाक्य: प्रभु प्रवेश करे ! वह महिमा का ईश्वर है ।
1. पृथ्वी और जो कुछ उस में है, संसार और उसके निवासी - यह सब प्रभु का है, क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली है, प्रभु ने जल पर उसे स्थापित किया है।
2. प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मंदिर में कौन रहने पायेगा? वही, जिसके हाथ निर्दोष हैं, जिसका हृदय निर्मल है और जिसका मन असार संसार में नहीं रमता ।
3. उसी को प्रभु की आशिष प्राप्त होगी, वही अपने मुक्तिदाता ईश्वर से पुरस्कार पायेगा । वह उन लोगों के सदृश है, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।
दूसरा पाठ
इसायस के ग्रंथ में एक बालक की चरचा है जो मुक्ति दिलायेगा । वह बालक येसु मसीह है। वह हमारे समान मनुष्य हैं, किन्तु उनके जी उठने से यह प्रमाणित हो गया है कि वह ईश्वर के पुत्र हैं। इसलिए जा उन में विश्वास करते हैं वह उन सबों को मुक्ति दिलायेंगे।
रोमियों के नाम संत पौलुस का पत्र 1:1-7
"येसु मसीह, दाऊद के वंशज, ईश्वर का पुत्र । "
यह पत्र येसु मसीह के दास पौलुस की ओर से है, जो ईश्वर के द्वारा प्रेरित चुना गया और उसके सुसमाचार के प्रचार के लिए नियुक्त किया गया है। ईश्वर ने बहुत पहले अपने नबियों के द्वारा इस सुसमाचार की प्रतिज्ञा की थी, जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है। यह सुसमाचार ईश्वर के पुत्र, हमारे प्रभु येसु मसीह के विषय में है। वह मनुष्य के रूप में दाऊद के वंश में उत्पन्न हुए और मृतकों में से जी उठने के कारण पवित्र आत्मा के द्वारा सामर्थ्य के साथ ईश्वर के पुत्र प्रमाणित हुए। उन से मुझे उनके मुझे प्रेरित बनने का वरदान मिला है, जिससे मैं उनके नाम पर ग़ैर-यहूदियों में प्रचार करूँ और वे लोग विश्वास की अधीनता स्वीकार करें। उन में से आप लोग भी हैं, जो येसु मसीह के समुदाय के लिए चुने गये हैं। मैं उन सबों के नाम यह पत्र लिख रहा हूँ, जो रोम में ईश्वर के कृपापात्र और उसकी प्रजा के सदस्य हैं। हमारा पिता, ईश्वर, और प्रभु येसु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शांति प्रदान करें ।
प्रभु की वाणी ।
जयघोष मत्ती 1:23
अल्लेलूया, अल्लेलूया! एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र को प्रसव करेगी, उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ है - प्रभु हमारे साथ है। अल्लेलूया!
सुसमाचार
आज का सुसमाचार यह दिखलाता है कि नबी इसायस के ग्रंथ में जो ईश्वर की प्रतिज्ञा मिलती है, वह किस प्रकार पूरी हो गई है। मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती है। युसूफ़ इस रहस्य पर विश्वास करते हैं और मरियम को अपने यहाँ ले आते हैं। हमें भी ईश्वर के विधान पर विश्वास करना चाहिए।
संत मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:18-25
"येसु की माता मरियम है। मरियम की मँगनी दाऊद के पुत्र युसूफ़ से हुई थी।”
मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ । उसकी माता मरियम की मगनी युसूफ़ से हुई थी, परन्तु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने के पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी थी। उसका पति युसूफ़ उसे चुपके से त्याग देने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम का बदनाम नहीं करना चाहता था। वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वपन में प्रभु का दूत यह कहते हुए दिखाई दिया, “हे युसूफ़, दाऊद की संतान ! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने से न डरिए, क्योंकि उसके जो गर्भ है वह पवित्र आत्मा से है। वह पुत्र को प्रसव करेगी और आप उसका नाम येसु रखेंगे, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।" यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये - "देखो, एक कुँवारी गभर्वती होगी और पुत्र को प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ है: ईश्वर हमारे साथ है। " युसूफ़ नींद से उठ कर प्रभु के दूत के आज्ञानुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया।
प्रभु का सुसमाचार ।
धर्मसार
पु०- मैं स्वर्ग और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता
सबः सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर, और उसके इकलौते पुत्र अपने प्रभु येसु ख्रीस्त में विश्वास करता
(करती) हूँ, ('जो पवित्र आत्मा के द्वारा ....से जन्मा' शब्दों तक एवं अंतर्विष्ट सब लोग नतमस्तक होते हैं ।) जो पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया, कुँवारी मरियम से जन्मा, पाँतुस पिलातुस के समय दुःख भोगा, क्रूस पर चढ़ाया गया, मर गया और दफ़नाया गया; वह अधोलोक उतरा, और तीसरे दिन मृतकों में से फिर जी उठा; वह स्वर्ग में आरोहित हुआ और सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर के दाहिने विराजमान है; वहाँ से वह जीवितों और मृतकों का न्याय करने आएगा। मैं पवित्र आत्मा, पवित्र काथलिक कलीसिया, धर्मियों की सहभागिता, पापों की क्षमा, देह का पुनरूत्थान और अनंत जीवन में विश्वास करता ( करती ) हूँ। आमेन ।
विश्वासियों के निवेदन
पुः प्रिय भाइयो और बहनों, हम जन्म पर्व मनाने के बहुत करीब हैं। ये हमारे लिए खुशी और गर्व की बात है। हम अपने जरूरतों को प्रभु को बतायें साथ ही ये कृपा भी मांगे कि जन्म पर्व का सही मतलब हम समझ सकें और उसे अपने मन दिल में ग्रहण करने के लिए तैयार हो सकें।
सब: हे पिता, हमारी प्रार्थना सुन ।
1.हम कलीसिया के अगुवे संत पिता फ्रांसिस, हमारे धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और सभी धर्मसंघियो के लिए प्रार्थना करें कि वे सुस्वस्थ्य रह कर अपने जीवन के नमूनों और प्रवचनों द्वारा अपने विश्वासियों को जन्म पर्व की सही तैयारी का संदेश दे पायें। इसके लिए निवेदन करें।
2.हम हर ख्रीस्तीयों के लिए प्रार्थना करें कि वे ईश्वरीय कृपा से जन्म पर्व के मूल अर्थ को समझ सकें और सही तैयारी कर पूरे भक्तिभाव, मेल - प्रेम और शांतिपूर्वक मना सकें। इसके लिए प्रार्थना करें।
3.बीमार, वृद्ध, गरीब, लाचार और जरूरतमंद लोगों के लिए प्रार्थना करें। ईश्वर उन पर दया और कृपा करें। उनकी तकलीफ दूर हों और वे भी ख्रीस्त जयंती की कृपा आनन्द, खुशी और शांति महसूस कर पायें। इसके लिए निवेदन करें।
4.बुरे और पापी लोगों के लिए प्रार्थना करें। प्रभु वचनों को वे सुन पायें । उनका असर उनके मन दिल में हो और प्रभु के प्रेम और उसकी महानता को एहसास कर पायें। उनका मन परिवर्तन हों और प्रभु के पास लौट सकें। इसके लिए निवेदन करें।
5.हमारे समाज, राज्य और देश के लिए प्रार्थना करें कि उनमें न्याय, शांति और भातृप्रेम का राज्य स्थापित हो और सभी कोई आनन्दपूर्वक शांति के साथ रह सकें। इसके लिए निवेदन करें।
पुः हे स्वर्गिक पिता, हमारा जीवन दाता और पालनहारा । हमारे मन दिल को शुद्ध और पवित्र कर ताकि तेरा प्रिय बेटा येसु ख्रीस्त, हम हर जन में जन्म ले सके और हमारा समूचा घर परिवार उसका निवास स्थान बन जाये। हम यह प्रार्थना करते हैं तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के द्वारा । आमेन।
अर्पण-प्रार्थना
हे प्रभु, जिस पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से धन्य कुँवारी मरियम गर्भवती हुई, वही आत्मा तेरी वेदी पर अर्पित इन उपहारों को पवित्र करे। हमारे प्रभु ख्रीस्त के द्वारा ।
कम्यूनियन- अग्रस्तव
एक कुँवारी गर्भवती होगी । वह एक पुत्र प्रसव करेगी, जिसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा । इसायस 7:14
कम्यूनियन के बाद प्रार्थना
हे सर्वशक्तिमान् ईश्वर् अनंत मुक्ति की यह धरोहर ग्रहण करके हम तुझसे निवेदन करते हैं: जैसे-जैसे हमारी मुक्ति का पर्व दिन निकट आ रहा है, वैसे-वैसे हम तेरे पुत्र के देहधारण का रहस्य योग्य रीति से मनाने के लिए स्वयं को तैयार कर सकें। उन्हीं हमारे प्रभु खीस्त के द्वारा ।
चिन्तन
आज समाज, देश और संसार अनेक परेशानियों, समस्याओं और अत्याचारों से गुजर रहा है। इस माहौल में हर व्यक्ति ये महसूस करता है कि कोई उनका अपना हो, उन्हें समझे, उनका साथ दे और उनके साथ रहे। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए ईश्वर ने अपने एकलौते बेटे येसु ख्रीस्त को इस दुनिया में भेजा जो हमारे हर तकलीफों को समझे, हमारे साथ रहे और हमें सही मार्गदशन दिये और मुक्ति के मार्ग में जाने का रास्ता दिखाये। ये ईश्वर की अद्भुत योजना थी और इसी बात को आज के पाठ हमें याद दिलाते हैं और उसकी योजना को समझकर अपने विश्वास में बढ़ने और दृढ़ होने की चुनौती देते हैं। ये आगमन काल उसकी कृपा, पवित्रता और मुक्ति को पाने के लिए अपने को तैयार करने का अवसर देता है।
आज का पहला पाठ नबी इसायस के ग्रन्थ से पढ़ा गया। इस अंश में नबी इसायस यूदा के राजा आहाज के विश्वास को चुनौती देते हैं। राजा आहाज अपने पड़ोसी राजाओं के आक्रमण से डर गया था। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या नहीं करें। इस परिस्थिति में नबी इसायस उन्हें ईश्वर पर भरोसा रखने के लिए कहे पर उन्हें ईश्वर की शक्ति पर शक और संदेह हुआ। उन्हें ईश्वर की अपेक्षा अन्य विधर्मी राजाओं का सहयोग अधिक उपयुक्त लगा। अतः नबी इसायस ईश्वर की शक्ति को परखने के लिए एक चिन्ह माँगने को कहे। राजा आहाज का जवाब सुनने में अच्छा लगता है पर वह ईश्वर के इच्छा के खिलाफ में था। वह अपने विश्वास में असफल हुआ। इसी क्रम में नबी इसायस कहते हैं वह चाहे या न चाहे फिर भी ईश्वर पूरे मानवजाति के लिए एक चिन्ह देगा और वह चिन्ह यह होगा कि एक कुवाँरी गर्भवती होगी वह पुत्र प्रसव करेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जायेगा जिसका अर्थ है ईश्वर हमारे साथ है।
नबी इसायस का वह भविष्यवाणी येसु ख्रीस्त के आने से पूरा हुआ। इस दुनिया में कई बार हमारे सामने ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है जहाँ हमारा विश्वास का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है। विश्वास की बात बेकार और फालतू लगती है। हम भी राजा आहाज की तरह व्यवहार करते और अपने विश्वास में असफल हो जाते हैं। बपतिस्मा के समय हमें विश्वास मिला था और हमारा फ़र्ज बनता है कि बड़े होने पर उस विश्वास को जीयें। पर दुविधा के समय कितनी आसानी से उस विश्वास से हम मुकर जाते हैं।
आज के दूसरा पाठ में संत पौलुस अपने बुलावे की पुष्टि करते हुए बताते हैं कि वे गैर यहूदियों के बीच येसु के सुसमाचार प्रचार करने के लिए चुने गये और प्रेरित नियुक्त किये गये थे। उन्होंने इस जिम्मेदारी को बड़ी तन्मयता और समर्पित भाव से पूरा किया और लोगों को विश्वास करने के लिए प्रेरित किया। हम हर जन भी ईश्वर के द्वारा अपने विश्वास को जीने और उसके आधार पर येसु के साक्षी बनने के लिए बुलाये गये हैं। हम सब ईश्वर के बेटे बेटियाँ हैं। वे हमें बहुत प्यार करते हैं और सदा हमारे साथ रहते हैं। क्या इस बात को एहसास कर हम अपनी बुलाहट को जीते हैं?
आज के सुसमाचार में येसु का जन्म किस प्रकार हुआ उसे बताया गया है। यह एक अद्भुत घटना थी और मानवीय समझ और तौर-तरीके से हटकर थी। येसु के जन्म से संबंधित रहस्यों पर विश्वास करने के लिए संत मरियम के बाद संत योसेफ को कहा गया। संत योसेफ को ये विश्वास करना था कि मरियम के गर्भ में जो बच्चा पल रहा है वह पवित्र आत्मा की शक्ति से है। इस तरह की बातों पर विश्वास करना किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए बहुत कठिन होगा। पर संत योसेफ नम्रता पूर्वक और धैर्य के साथ इस पर विश्वास किया। इस तरह ईश्वर की योजना में अपनी भूमिका निभाकर हमारे लिए बहुत बड़ा आर्दश बन गये ।
आज के तीनों पाठ हमें अपने विश्वास पर चिन्तन करने के लिए निमंत्रण देता है। विश्वास क्या है? विश्वास उन बातों की स्थिर प्रतिक्षा हैं, जिसकी हम आशा करते हैं, और उन वस्तुओं के अस्तित्व के विषय में दृढ़ धारणा है जिन्हें हम नहीं देखते हैं। विश्वास के कारण हमारे पूर्वज ईश्वर के कृपापात्र बनें। बाईबल में बहुत सारे उदाहरण मिलते हैं जिन्होंने ईश्वर पर विश्वास किया और उसी के फल से उनका जीवन सफल हुआ और वे अनन्त जीवन के अधिकारी हुए। वे दूसरों के लिए नमूना बनें। विश्वास हमारे लिए ईश्वर का मुफ्त में दिया गया बड़ा वरदान है जो हमारे जीवन को असान बनाता और जीने का मकसद देता है। हम इसकी महता को समझे और इसमें दृढ़ होने का प्रयास करें और जन्म पर्व का आनंद लें। आमेन।