प्रभु-ब्यालु का बृहस्पतिवार
06 अप्रैल, 2023 वर्ष 1 (A) अंक-131 गलातियों 6:14
प्रवेश- अग्रस्तव:
हमें अपने प्रभु येसु ख्रीस्त के क्रूस पर गौरव करना चाहिए। उन्हीं में हमारी मुक्ति, जीवन और पुनरूत्थान है। उन्हीं के द्वारा हमारा उद्धार और मुक्ति हुई है।
पु० प्रिय भाइयों और बहनों हर वर्ष हम पवित्र सप्ताह के त्रिदिवसीय समारोह में खास तौर और भक्ति भाव से भाग लेते आये हैं। मन में सवाल उठना स्वभाविक है ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें पास्का का रहस्य समाहित है। इस त्रिदिवसीय समारोह में काथलिक कलीसिया का सार है। हमारे विश्वास का आधार है। माता कलीसिया चाहती है कि हम इसे जाने समझे और इस पर चिंतन करें। आज इस समारोह का पहला दिन है जिसे हम पुण्य बृहस्पतिवार कहते हैं। यह दिन अन्तिम व्यालू के नाम से भी जाना जाता है। इस ब्यालू में हम तीन बिन्दुओं पर चिन्तन करते हैं जो आज के धर्मविधि के खास होते हैं। पहला, पवित्र यूखारिस्त की स्थापना, दूसरा, पुरोहिताई संस्कार की स्थापना और तीसरा, चेलो के पैर धोकर सेवा, दीनता और प्रेम का सर्वोतम उदाहरण पेश करना। इन तीनों बातों की हमारे जीवन में क्या महत्ता है? कुछ क्षण मौन होकर इस पर विचार करें और अपनी अयोग्यता के लिए प्रभु से क्षमा मांगें।
महिमागान लिया जाता है।
संगृहीत प्रार्थना
हे ईश्वर, हम उस परम पवित्र ब्यालू के लिए एकत्र हुए हैं, जिसमें तेरे इकलौते पुत्र ने अपने प्राण अर्पित करने से पहले कलीसिया के लिए एक नया और शाश्वत बलिदान, अपने प्रेम का भोज दिया। ऐसी कृपा कर कि हम इस महान् संस्कार के द्वारा प्रेम और जीवन की परिपूर्णता प्राप्त करें। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के द्वारा, जो तेरे तथा पवित्र आत्मा के संग एक ईश्वर होकर युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
पहला पाठ
यहूदी लोग हर साल पास्का पर्व के अवसर पर पास्का का मेमना खाते थे। हम हर पवित्र मिस्सा में कहते हैं, "हे ईश्वर के मेमने! तू संसार के पाप हर लेता है- हम पर दया कर"। इस प्रकार हम अपना विश्वास प्रकट करते हैं कि पास्का का वास्तविक मेमना कौन है - यह तो येसु मसीह ही है।
निर्गमन 12:1-8,11-14
पास्का के भोज के विषय में आदेश ।
प्रभु ने मिस्र देश में मूसा और हारून से कहा- यह तुम्हारे लिए आदिमास होगा; तुम उसे वर्ष का पहला महीना मान लो । इस्राएल के सारे समुदाय को यह आदेश दो - इस महीने के दसवें दिन हर एक परिवार एक - एक मेमना तैयार रखेगा। यदि मेमना खाने के लिए किसी परिवार में कम लोग हों, तो ज़रूरत के अनुसार पास वाले घर से लोगों को बुलाओ। खाने वालों की संख्या निश्चित करने में हर एक की खाने की रूचि का का ध्यान रखो। उस मेमने में कोई दोष न हो; वह नर हो और एक साल का । वह भेड़ा हो अथवा बकरा । महीने के दसवें दिन तक उसे रख लो; शाम को सब इस्राएली उस को कतल करेंगे। जिन घरों में मेमना खाया जायेगा, दरवाज़ों की चौखट पर उसका लोहू पोत दिया जाये। उसी रात को बेख़मीर रोटी और कड़वे साग के साथ मेमने का भूना हुआ मांस खाया जायेगा। तुम लोग चप्पल पहन कर कमर कस कर तथा हाथ में डंडा लिये खाओगे। तुम जल्दी-जल्दी खाओगे, क्योंकि यह प्रभु का 'पास्का' है। उसी रात मैं, प्रभु, मिस्र देश का परिभ्रमण करूँगा, मिस्र देश में मनुष्यों और जानवरों के सभी पहलौठे बच्चों को मार डालूँगा, और मिस्र के सभी देवताओं को भी दण्ड दूँगा। तुम लोहू पोत कर दिखा दोगे कि तुम किन घरों में रहते हो; वह लोहू देख कर मैं लोगों को छोड़ दूँगा । इस तरह, जब मैं मिस्र देश को दण्ड दूँगा। इस तरह, जब मैं मिस्र देश को दण्ड दूँगा, तुम विपत्ति से बच जाओगे। तुम उस दिन का स्मरण रखोगे और उसे प्रभु के आदर में पर्व के रूप में मनाओगे। तुम उसे सभी पीढ़ियों के लिए अनन्तकाल तक पर्व घोषित करोगे ।
प्रभु की वाणी ।
भजन स्तोत्र 116:12 - 13,15-18
अनुवाक्य: यह आशिष का प्याला है; इसके द्वारा हम मसीह के रक्त के सहभागी बन जाते हैं।
दूसरा पाठ
हर एक पवित्र मिस्सा में हम अन्तिम ब्यारी तथा क्रूस के बलिदान, दोनों की यादगारी मनाते हैं। दोनों अवसरों पर येसु ने हमें अपूर्व रूप से अपना प्रेम दिखाया है।
कुरिंथियों के नाम संत पौलुस का पहला पत्र ( 11:23–26)
“जब-जब आप यह खाते अथवा पीते हैं प्रभु की मृत्यु घोषित करते हैं। "
भाइयो! मैंने प्रभु से सुना और आप लोगों को भी यही बता दिया है कि जिस रात को प्रभु येसु पकड़वाये गये, उन्होंने रोटी ले कर धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और उसे तोड़ कर कहा- यह मेरा शरीर है, यह तुम्हारे लिए है। यही मेरी स्मृति में किया करो। इसी प्रकार ब्यारी के बाद उन्होंने प्याला ले कर कहा - यह प्याला मेरे रक्त का नूतन विधान है। जब-जब तुम उस में से पियो, तो यही मेरी स्मृति में किया करो। इसलिए जब-जब आप लोग यह रोटी खाते और यह प्याला पीते हैं, आप प्रभु के आने तक उनकी मृत्यु की घोषणा करते हैं।
प्रभु की वाणी ।
जयघोष - योहन 13:34
प्रभु कहते हैं, मैं तुम लोगों को एक नयी आज्ञा देता हूँ। जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।
सुसमाचार
आज के सुसमाचार में प्रभु हमें यह शिक्षा देते हैं कि कोमुन्यो और भ्रातृप्रेम का अटूट संबंध है। जब-जब हम दूसरों की सेवा करते हैं, तब उन्हीं के सच्चे शिष्य होने को प्रमाण देते हैं, जिन्हें हम पवित्र कोमुन्यो में ग्रहण करते हैं।
संत योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 13: 1-15
"उन्होंने अपने प्रेम का सब से बड़ा प्रमाण दिया । "
वह पास्का पर्व का पूर्व दिन था। येसु जानते थे कि मेरी घड़ी आ गयी है और मुझे यह संसार छोड़ कर पिता के पास जाना है। वह अपने शिष्यों को, जो इस संसार में थे, प्यार करते आये थे और अब अपने प्रेम का सब से बड़ा प्रमाण देने वाले थे। शैतान ब्यारी के समय तक सिमोन इसकारियोती के पुत्र यूदस के मन में येसु को पकड़वाने का विचार उत्पन्न कर चुका था। येसु जानते थे कि पिता ने मेरे हाथों मे सब कुछ दे दिया है, मैं ईश्वर के यहाँ से आया हूँ और ईश्वर के पास जा रहा हूँ। उन्होंने भोजन पर से उठ कर अपने कपड़े उतारे और कमर पर से अँगोछा बाँध लिया। तब वह परात में पानी भर कर अपने शिष्यों के पैर धोने और कमर में बँधे अँगोछे से पोछने लगे। जब वह सिमोन पेत्रुस के पास पहुँचे, तो पेत्रुस ने उन से कहा, "प्रभु! आप मेरे पैर धोते हैं?" येसु ने उसे उत्तर दिया, "तुम अभी नहीं समझते कि मैं क्या कर रहा हूँ बाद में समझोगे"। पेत्रुस ने कहा, "मैं आप को अपने पैर कभी नहीं धोने दूँगा "। येसु ने उसे उत्तर दिया, " यदि मैं तुम्हारे पैर न धोऊँ, तो तुम्हारा मेरे साथ कोई संबंध नहीं रह जायेगा । " इस पर सिमोन पत्रुस ने उन से कहा, "प्रभु! तब तो मेरे पैर ही नहीं, मेरे हाथ और सिर भी धोइए"। येसु ने उत्तर दिया, " जो स्नान कर चुका है, उसे पैर के सिवा और कुछ भी धोने की ज़रूरत नहीं। वह पूर्ण रूप से शुद्ध है। तुम लोग शुद्ध हो, परन्तु सब के सब नहीं "। वह जानते थे कि कौन मेरे साथ विश्वासघात करेगा । इसीलिए उन्होंने कहा-तुम सब के सब शुद्ध नहीं हो। उनके पैर धोने के बाद वह अपने कपड़े पहन कर फिर बैठ गये और उन से बोले, "क्या तुम लोग समझते हो कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? तुम मुझे गुरू और प्रभु कहते हो, और ठीक ही कहते हो, क्योंकि मैं वही हूँ । इसलिए यदि मैंने प्रभु और गुरू हो कर तुम्हारे पैर धोये हैं, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिए। मैंने तुम्हें उदाहरण दिया है, जिससे जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है, वैसा ही तुम भी किया करो"।
प्रभु का सुसमाचार ।
पाद प्रक्षालन
अग्रस्तव 1 ( योहन 13:45, 15 )
प्रभु भोजन पर से उठे और परात में पानी भरकर अपने शिष्यों के पैर धोने लगे। येसु ने उन्हें यह उदाहरण दिया ।
अग्रस्तव 2 ( योहन 13: 12, 13, 15 )
अपने शिष्यों के साथ भोजन करने के बाद प्रभु येसु ने उनके पैर धोये और उनसे कहा: क्या तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारे गुरू और प्रभु होकर तुम्हारे लिए क्या किया है? मैंने तुम्हें उदाहरण दिया है, तुम भी ऐसे ही करो।
धर्मसार नहीं बोला जाता
विश्वासियों के निवेदन
पुः प्रिय भाइयो और बहनों, आज की धर्म विधि में हम येसु ख्रीस्त के अन्तिम ब्यालू की घटना को याद कर रहे हैं। अतः आइये इस ब्यालू द्वारा मिलने वाली कृपा को पाने के लिए अपने मन दिल को खोले और अपने सभी जरूरतों के लिए प्रार्थना करें और कहें - सब: हे पिता हमारी प्रार्थना सुन ।
1.संत पापा फ्रांसिस, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और धर्मसंघियों के लिए प्रार्थना करें कि वे येसु के समान नम्र और दीन बनें और येसु के मनोभावों को अपना कर अपने सभी प्रेरिताई कामों को ईश्वरीय इच्छा के आधार पर कर सकें। इसके लिए प्रार्थना करें।
2. हम हर ख्रीस्तीय विश्वासियों के लिए प्रार्थना करें कि वे कि पवित्र यूखारिस्त के महत्त्व को समझ पायें और उसे पूरे आदर और भक्ति दिखा सकें। उसे योग्यता के साथ ग्रहण कर आत्मिक बल पा सकें। इसके लिए निवेदन करें।
3. आज हम दुनिया के सभी पुरोहितों के लिए प्रार्थना करें। ईश्वर उनको हर परिस्थिति में मदद करे और बल दे जिससे वे दुनियायी चुनौतियों और प्रलोभनों को जीत पायें और पवित्रता के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकें। इसके लिए प्रार्थना करें।
4. हम अपने पल्ली के युवक-युवतियों के लिए प्रार्थना करें कि वे प्रभु के प्रेम से प्रेरित होकर अपनी बुलाहट को पहचान सकें और प्रभु के दाखबारी में काम करने के लिए आगे आ सकें। इसके लिए प्रार्थना करें।
5. आज की धर्म विधि में भाग ले रहे हर भाई बहन एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें कि हम सब येसु ख्रीस्त की नम्रता और सेवा भाव को अपने दैनिक जीवन में अपना सकें और एक दूसरे को प्यार करते हुए सच्चा खीस्तीय होने की साक्षी सम्पूर्ण जगत को दे सकें। इसके लिए निवेदन करें।
पुः हे सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर, हम तूझे पवित्र यूखारिस्त और पुरोहिताई संस्कार के लिए धन्यवाद देते हैं। तू सदा हमारी परवाह करता और अपनी उपस्थिति का एहसास करने और कृपा पाने के लिए अपनी उदारता और प्रेम से इन्हें हमें दिया । इनका महत्व हम समझ पायें और मुक्ति के मार्ग में सदा आगे बढ़ते जायें, हम ये दीन प्रार्थना करते हैं तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के द्वारा। आमेन।
अर्पण-प्रार्थना
हे प्रभु, जब कभी इस बलिदान की स्मृति मनायी जाती है, हमारी मुक्ति का कार्य संपन्न होता है। ऐसी कृपा कर कि हम इस संस्कार में योग्य रीति से भाग ले सकें। हम यह प्रार्थना करते हैं, अपने प्रभु खीस्त के द्वारा ।
कम्यूनियन- अग्रस्तव (1 कुरिंथियों 11:24-25)
प्रभु कहते हैं, "यह मेरा शरीर है, यह तुम्हारे लिए अर्पित किया जाएगा। यह प्याला मेरे रक्त का नवीन व्यवस्थान है। जब-जब तुम इसमें से पिओ, तो यह मेरी स्मृति में किया करो। "
कम्यूनियन के बाद प्रार्थना
हे सर्वशक्तिमान् ईश्वर, जिस प्रकार हम इस लोक में तेरे पुत्र के भोज में भाग लेने से नवस्फूर्ति प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार हम उनके स्वर्गिक भोज से अनंत काल तक तृप्त होते रहें। यह वर दे, उन्हीं हमारे प्रभु ख्रीस्त के द्वारा । आमेन।
चिन्तन
हम अपने जीवन में जरूर किसी न किसी पार्टी में भाग लिया है। पार्टी में कौन लोग सम्मिलित होते हैं? जो खास होते हैं, जिसका नजदीकी का रिश्ता होता है और इसका मकसद होता है आपसी प्रेम को बाँटना, एक दूसरे को अपने रिश्ता और प्रेम का एहसास कराना । एक दूसरे की उपस्थिति से ये आभास कराना की वे हमारे लिए कितने खास हैं। इसमें अपने दुःख-सुख की भी चर्चा होती है। जब किसी व्यक्ति को पता चले कि उसकी अंतिम घड़ी आ गई। वह क्या करेगा ? हो सकता है वह अपने प्रियजनों को बुलायेगा, अपने अधूरे सपनों के बारे में उन्हें बतायेगा, अपने जीवन के कुछ रहस्यों को सुनायेगा और अन्त में उनकी बेहतरी के लिए उन्हें कुछ उदाहरण, शिक्षा और निर्देश देगा। यही बात येसु ख्रीस्त के साथ दो हजार वर्ष पूर्व हुआ था। वे अपने प्रिय और खास शिष्यों को एक भोज दिये उन्हें कुछ निर्देश दिये और इसके द्वारा अपना प्रेम का इजहार किये। वे उनके लिए कौन थे इसका आभास कराये। उनके साथ अपना संबंध को स्पष्ट किये। वह भोज अन्तिम ब्यालू था । वह एक मनुष्य मुक्ति से संबंधित महान घटना थी। उस दिन हम वहाँ नहीं थे इसलिए माता कलीसिया उसी घटना की यादगार मनाने का अवसर आज हम सभों को देती है। येसु ये सब हमारे लिए किये अतः आइये इसे हम जाने
और समझे महसूस करें।
येसु ख्रीस्त के उस ब्यारी में हम तीन बातों पर गौर करते हैं। वे हैं- पहला, पवित्र यूखारिस्त की स्थापना, दूसरा, पुरोहिताई संस्कार की स्थापना और तीसरा, चेलो के पैर धोकर सेवा, दीनता और प्रेम का सर्वोतम उदाहरण पेश करना। इन तीनों बिन्दुओं पर हल्का सा चिन्तन करें।
येसु अपने चेलों के साथ करीब तीन साल बिताये। उनके साथ शहर शहर गाँव-गाँव जाकर सुसमाचार का प्रचार किये। प्रभु भक्तो और लोगों के जरूरतों को नजदीक से देखे और महसूस किये, उन्हें जाने। उनके कमजोरियों और पापों से अवगत हुए। कम पढ़े लिखे मछुवारों को अपना शिष्य बनाये। इस तरह येसु उन्हें अकेला छोड़ना नहीं चाहते थे। उन्हें शसक्त करना चाहते थे, मजबूत करना चाहते थे ताकि आगामी मिशन के लिए वे तैयार रहें। येसु जानते थे कलवारी पहाड़ पर मुक्ति के मिशन को खत्म करने के बाद वे पुनः पिता ईश्वर के पास लौट जायेंगे, स्वर्ग राज्य में पिता के दायें विराजमान होंगे और उस क्षण उनके शिष्यों और लोगों को उनकी आवश्यकता होगी। अतः उन्होंने इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, अद्भूत ढंग से सधारण रोटी और दाखरस को अपने शरीर और रक्त में बदल कर पवित्र यूखारिस्त की स्थापना की। जो उनकी उपस्थिति का एक माध्यम बने और उन्हें अध्यात्मिक तरीके से बलिष्ठ, उर्जावान बनाते रहे। आज वही प्रभु येसु परम प्रसाद के रूप में हर गिरजाघर के संदूक में उपस्थित रहते हैं जो भक्तों के लिए आदर भक्ति और उनके विश्वास का केन्द्र होता है। पवित्र यूखरिस्त येसु का सबसे बड़ा हमारे लिए आत्मदान है। जो प्रेम से सराबोर रहता है। जो हमें बलिष्ट सशक्त और बलवान बनाता है। आज इस संस्कार के जन्म दिन में हमारे लिए ये विचार करना उचित होगा कि हम उसकी भक्ति कितना करते हैं? वे हमारे लिये क्या मायने रखते हैं। उसे हम किस भाव और कितनी पवित्रता के साथ ग्रहण करते हैं?
आज की दूसरी विशेषता है पुरोहिताई संस्कार की स्थापना । क्यों येसु ख्रीस्त खास व्यक्तियों को चुनकर बिशेष अभिषेक और अधिकार देकर पुरोहिताई संस्कार की स्थापना की ? येसु को पता था कि अपने जी उठने के बाद वे स्वर्ग चले जायेंगे और उसकी मिशन एवं स्मृति को जारी रखने के लिए किसी को तो होना है। इसलिए उन्होंने पुरोहिताई संस्कार की स्थापना की। यूखारिस्त संस्कार की स्थापना के समय येसु ने कहा 'मेरी स्मृति में यह किया करो'। पुरोहितों का मुख्य काम क्या होता है? पवित्र यूखारिस्त चढ़ाना, पापस्वीकार सुनना और लोगों के पापों को क्षमा करना, संस्कारों को संपन्न करना, शिक्षा देना, सुसमाचार का प्रचार करना और लोगों को मुक्ति पाने के लिए तैयार करना। ये काम करने का अधिकार येसु पुरोहितों को अभिषेक के समय देते हैं। पुरोहित हमारे ही बीच से चुने जाते हैं। वे दूध नहीं होते हैं या स्वर्ग से नहीं उतरते हैं। उनके कमजोर हाथ येसु की शक्ति से फलवान होते हैं और साधारण रोटी और दाखरस येसु के पावनतम शरीर और रक्त में बदल जाते हैं। आज हमारा फर्ज बनता है कि हम उनके लिए प्रार्थना करें वे पवित्र और कर्त्तव्यनिष्ठ हों। वे लोगों के लिए आशीर्वाद का माध्यम बनें। इसलिए अपने परिवारों में पुरोहिताई बुलाहट के लिए महौल बनाना और प्रोत्साहन करना होगा । कल्पना कीजिये अगर पुरोहित नहीं होंगे कौन हमारे लिए संस्कारों को संपादित करेगा? कौन हमारे लिए सुसमाचार सुनायेगा और उसे समझायेगा ? कौन हमारे लिए मुक्ति मार्ग और स्वर्ग राज्य की प्राप्ति का माध्यम बनेगा।
आज का चिंतन का तीसरा बिन्दु है पैर धोवन की क्रिया । इसके द्वारा येसु ख्रीस्त प्रेम, सेवा, विश्वास और नम्रता का सच्चा उदाहरण दिया है और अपने अनुयायियों को ऐसा करने का निर्देश दिया। येसु ने कहा था "मैं सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपना प्राण देने आया हूँ।" इसी का जीता जागता उदाहरण अन्तिम ब्यालू के समय येसु किये। वे शिष्यों के पैर धोये। पेत्रस के नकारने पर येसु ने उससे कहा " अगर मैं तेरा पैर न धोऊँ तो तुम्हारा मेरे साथ कोई संबंध नहीं है।" एक दूसरे का पैर धोना प्रेम और सेवा के संबंध को दिखाता है। येसु एक गुरू और प्रभु होकर अपने शिष्यों के पैर धोये। इसके द्वारा वे निस्वार्थ प्यार और सेवा का भाव को दिया। सेवा की भावना ही हमें मशीन और रोबोट से अलग करता और इंसान बनाता हैं। येसु के मन में ये विचार जरूर आयें होंगे जिस पैरों को मैं धो रहा हूँ वे मेरा साथ नहीं देंगे। वे मुझे छोड़ देगें ये जानते हुए भी वह उनका पैर धोये और अपना प्यार उनके प्रति दर्शाये । अतः आइये इन सभी बातों पर गौर करते हुए हम इस समारोह में भाग ले और येसु के मनोभाव को धारण कर सच्चा खीस्तीय बनने का प्रयास करें। आमने ।