फाo निखिल मिंज के पिता श्रीo एर्नेस्ट मिंज को दी गई श्रद्धापूर्ण अंतिम विदाई
गुरुवार, जनवरी 02, 2025, सामटोली, सिमडेगा: रांची कैथोलिक महाधर्मप्रांत के पुरोहित फाo निखिल मिंज के पिता श्रीo एर्नेस्ट मिंज का आज उनके आवास सामटोली, सिमडेगा में हृदय अघात के कारण देहान्त हो गया। उनके दफ़न की धर्मविधि नमपूर्ण एवं अश्रुभरी आंखों से आज ही सम्पन्न की गई।
ज्ञात हो कि फाo निखिल मिंज के पिता श्रीo एर्नेस्ट मिंज हृदय रोगी रहे। आज प्रातः लगभग 03 बजे उन्हें हृदय अघात हुआ जिसके कारण उन्हें असहनीय पीड़ा हुई एवं श्वास लेने में काफी तकलीफ होती रही और अंततः 5:30 बजे वे स्वर्ग सिधार गए। रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने बताया कि उनकी मुलाक़ात श्रीo एर्नेस्ट मिंज से दिसंबर 30, 2024 को हुई उस समय वे काफ़ी प्रसन्नचित और स्वास्थ्य प्रतीत हुए। उनसे मुलाकात के दरम्यान उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य एवं युवाओं के समस्या व उनके अच्छे मार्गदर्शन की आवश्यकता पर चिंता व्यक्त की। उनके आत्मा शांति के उनके आवास में पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित किया गया जिसकी अगुवाई रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने की। उन्होंने अपने धर्मोपदेश में कहा कि "मृत्यु एक सच्चाई है लेकिन हमारा पूर्ण विश्वास है कि शरीर के अंत के साथ सब कुछ समाप्त नहीं होता बल्कि हम प्रभु के साथ अनंतकाल तक लिए निवास करते हैं। मृत्यु हमारे जीवन के क्षण भंगुरता का स्मरण दिलाता है। इसलिए हम एक धार्मिक और स्वर्ग राज्य में प्रवेश करने लायक जीवन जीने का प्रयास करते रहे।" इसके साथ श्रीo एर्नेस्ट मिंज की आत्मा शांति तथा परिवार में सांत्वना के लिए विशेष प्रार्थना किया।
मिस्सा के पश्चात उनके ग्राम के कब्रस्थान में ही उनकी दफ़न धर्मविधि संपन्न की गई। उनके मन में समाज के उत्थान के प्रति समर्पित जीवन जीने की चाह कूट कूट कर भरी थी। वे बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति रहे हैं और जीवन या परिवार की तकलीफों एवं समस्याओं के प्रति सदा ही सकारात्मक स्वभाव धारण कर ईश्वर के प्रति अपना विश्वास मज़बूत बनाए रखा। सभी ग्राम वासी एवं रिश्तेदारों ने उन्हें नम भरी आँखों से अंतिम विदाई दी।
श्रीo एर्नेस्ट मिंज के प्रार्थना सभा एवं दफ़न धर्म विधि में रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद, उनके बड़े बेटे फाo निखिल मिंज, महाधर्माध्यक्ष के सचिव फाo असीम मिंज, विभिन्न धर्म समाज के धर्म बहनें, रिश्तेदार एवं ग्राम वासी शामिल हुए।