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SUNDAY LITURGY IN HINDI

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आगमन का तीसरा रविवार

11 दिसम्बर, 2022 अंक - 113

प्रवेश- अग्रस्तवः प्रभु में सदा प्रसन्न रहिए। मैं फिर से कहता हूँ, प्रसन्न रहिए। प्रभु वास्तव में निकट है। फिलिप्पियों 4:4-4

पु० प्रिय भाइयो और बहनों, कलीसिया जन्म पर्व से पहले करीब 25 से 29 दिन का समय आगमन काल के रूप में मनाती है। यह काल प्रभु येसु के जन्म उत्सव को अच्छी तरह से मनाने की तैयारी का समय होता है। आज हम आगमन काल के तीसरे रविवार में प्रवेश करते हैं। आज की पूजन-विधि हमें धैर्यवान और हिम्मतवान होकर येसु का स्वागत करने के लिए तैयार होने का आह्वान करती है। हम अपने को झांक कर देखें इस आगमन काल को हमने कितनी गम्भीरता से ली है? क्या हमने इस काल के महत्व को समझते हुए एक दूसरे से मेल-मिलाप की आवश्यकता महसूस की है ? क्या हमने छोटी-मोटी त्याग तपस्या कर भले काम करने का प्रयास किया है? क्या हमने बाईबल पाठन और प्रार्थना करके ईश्वर की इच्छा को जानने और उसे जीने का प्रयास किया है? जब हम बाह्य तैयारी से अधिक आन्तरिक तैयारी पर अधिक जोर देगें तब जन्म पर्व की आनन्द और खुशी खास होगी। अगर हम जन्म पर्व को खास बनाना चाहते हैं तो आईये इन बातों को गौर करते हुए नम्रतापूर्वक अपने लपरवाही को स्वीकार करें और प्रभु से क्षमा माँगे ।

महिमागान नहीं लिया जाता है।

संगृहीत प्रार्थना

हे ईश्वर, तेरी प्रजा बड़े विश्वास के साथ प्रभु के जन्मोत्सव की प्रतीक्षा कर रही है। ऐसी कृपा कर कि हम इस महान् मुक्ति का आनंद प्राप्त करें और इसे समारोही अनुष्ठान तथा हर्षोल्लास द्वारा सदा प्रकट करें हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के , जो तेरे तथा पवित्र आत्मा के संग एक ईश्वर होकर युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

पहला पाठ

नबी इसायस काव्य की भाषा में यहूदियों के उस समय के आनन्द का वर्णन करता है, जब वे लोग निर्वासन के बाद अपने देश लौटेंगे। जो लोग मसीह के द्वारा ईश्वर के पास पहुँचेंगे उन लोगों का आनन्द और भी बड़ा होगा और हमेशा के लिए बना रहेगा।

नबी इसायस का ग्रंथ 35:1-6,10

"ईश्वर स्वयं तुम्हें बचाने आ रहा है। "

मरूस्थल और निर्जल प्रदेश आनन्द मनायें, उजाड़ भूमि हर्षित हो कर फले-फूले, वह कुमुदिनी की तरह खिल उठे, वह उल्लास और आनन्द के गीत गाये । उसे लेबानोन का गौरव दिया गया है, कार्मेल तथा आरोन की के प्रताप के दर्शन करेंगे। थके-माँदे हाथों को शक्ति दो, निर्बल पैरों को सुदृढ़ बना दो। मत। देखो, तुम्हारा ईश्वर आ रहा है। वह बदला चुकाने आता है, वह प्रतिशोध करने अंधों की आँखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंगे। लँगड़ा हरिण की तरह छलाँग शोभा । लोग प्रभु की महिमा तथा हमारे ईश्वर घबराये हुए लोगों से कह दो -ढारस रखो, डरो आता है, वह स्वयं तुम्हें बचाने आ रहा है। तब भरेगा और गूँगे की जीभ आनन्द का गीत गायेगी,क्योंकि प्रभु द्वारा छुड़ाये हुए लोग लौटेंगे। वे गाते-गजाते हुए सियोन लौटेंगे, वे चिरस्थायी सुख-शांति ले कर आयेंगे, वे आनन्द और उल्लास के साथ लौटेंगे। दुःख और विलाप का अंत हो जायेगा।

प्रभु की वाणी ।

भजन स्तोत्र 145:7-10

अनुवाक्य: हे प्रभु! आ कर हमें बचाने की कृपा कर ।

1. प्रभु सदा ही सत्यप्रतिज्ञ है । वह पद्दलितों को न्याय दिलाता, भूखों को तृप्त करता और बन्दियों को मुक्त कर देता है।

2. प्रभु अंधों की आँखों को अच्छा करता और झुके हुए को सीधा करता है, वह परदेशी की रक्षा करता और अनाथ तथा विधवा को सँभालता है।

3. प्रभु धर्मियों को प्यार करता और विधर्मियों के मार्ग में बाधा डालता है। प्रभु, सियोन का ईश्वर, युगानुयुग राज्य करता रहेगा ।

दूसरा पाठ

किसान, बीज बोने के बाद, धीरज और भरोसे के साथ फ़सल की राह देखता है। उसी तरह हमें अटूट विश्वास के साथ मसीह के आने की राह देखनी चाहिए। इस दुनिया में कितनी ही तकलीफ़, कितनी ही कठिनाइयाँ, कितना ही अत्याचार क्यों न हो, इस से हमारी आशा नष्ट नहीं हो सकती ।

संत याकुब का पत्र 5:7-10

" हिम्मत न हारिए ! प्रभु का आगमन निकट है। "

भाइयो! प्रभु के आने तक धैर्य धरिए । किसान को देखिए, जो खेत की क़ीमती फ़सल की बाट जोहता है उसे प्रथम और अंतिम वर्षा के आने तक धैर्य धरना पड़ता है। आप लोग भी धैर्य धरिए । हिम्मत न हारिए, क्योंकि प्रभु का आगमन निकट है। हे भाइयो! एक दूसरे की शिकायत नहीं कीजिए, जिससे आप पर दोष न लगाया जाये। देखिए, न्यायकर्त्ता द्वार पर खड़े हैं। भाइयो! जो नबी प्रभु के नाम पर बोले हैं, उन्हें सहिष्णुता तथा धैर्य का अपना आदर्श समझ लीजिए।

प्रभु की वाणी ।

जयघोष लू० 4:18

अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है। उसने मुझे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाने भेजा है। अल्लेलूया! सुसमाचार

मसीह के बारे में योहन बपतिस्ता ने कहा था कि "वह हाथ में सूप ले चुके हैं, जिससे वह अपना खलिहान ओसा कर साफ़ करें" । येसु योहन को बताते हैं कि मैं मसीह हूँ, तब भी मैं पहले मनुष्यों का उपकार करता हूँ और गरीबों को सुसमाचार सुनाता हूँ।

संत मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 11:2-12

"क्या आप ही वह हैं, जो आने वाले हैं अथवा हम किसी दूसरे की प्रतीक्षा करें?"-

योहन ने, बंदीगृह में मसीह के कार्यों की चरचा सुन कर अपने शिष्यों को उनके पास यह पूछने भेजा, "क्या आप ही वह हैं, जो आने वाले हैं अथवा हम किसी दूसरे की प्रतीक्षा करें?" येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "जाओ। जो कुछ तुम सुनते और देखते हो, उसे योहन को बताओ अंधे देखते हैं, लँगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है; और धन्य है वह, जिसका विश्वास मुझ पर से नहीं उठ जाता है!" वे विदा हो रहे थे कि येसु जनसमूह से योहन के विषय में कहने लगे, ‘“तुम लोग निर्जन प्रदेश में क्या देखने गये थे? हवा से हिलते हुए सरकंडे को ? नहीं! तब तुम क्या देखने गये थे ? बढ़िया कपड़े पहने मनुष्य को? नहीं! बढ़िया कपड़े पहनने वाले राजमहलों में रहते हैं। आखिर क्यों निकले थे? नबी को देखने के लिए? निश्चय हो ! मैं तुम से कहता हूँ, नबी से भी महान् व्यक्ति को । यह वही जिसके विषय में लिखा है- देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेजता हूँ। वह तुम्हारे आगे तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा । मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ- मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बड़ा कोई भी पैदा नहीं हुआ है। फिर भी स्वर्गराज्य में जो सब से छोटा है, वह योहन से बड़ा है। "

प्रभु का सुसमाचार |

धर्मसार

पु० मैं स्वर्ग और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता

सबः सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर, और उसके इकलौते पुत्र अपने प्रभु येसु ख्रीस्त में विश्वास करता ( करती ) हूँ, ('जो पवित्र आत्मा के द्वारा . ....से जन्मा' शब्दों तक एवं अंतर्विष्ट सब लोग नतमस्तक होते हैं।) जो पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया, कुँवारी मरियम से जन्मा, पोंतुस पिलातुस के समय दुःख भोगा, क्रूस पर चढ़ाया गया, मर गया और दफ़नाया गया; वह अधोलोक में उतरा और तीसरे दिन मृतकों में से फिर जी उठा; वह स्वर्ग में आरोहित हुआ और सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर के दाहिने विराजमान है; वहाँ से वह जीवितों और मृतकों का न्याय करने आएगा। मैं पवित्र आत्मा, पवित्र काथलिक

कलीसिया, धर्मियों की सहभागिता, पापों की क्षमा, देह का पुनरूत्थान और अनंत जीवन में विश्वास करता ( करती ) हूँ। आमेन।

विश्वासियों के निवेदन

पुः प्रिय भाइयो और बहनों, हम आगमन काल में हैं और अपने प्रभु और मुक्तिदाता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। परम दयालु पिता ईश्वर से हम प्रार्थना करें कि ख्रीस्त के पावन आगमन द्वारा हृदय के दीन सुसमाचार की कृपा ग्रहण करें और दया और मुक्ति प्राप्त करें। अतः अपने सभी जरूरतों को प्रभु को बतायें और कहें- हे पिता, हमारी प्रार्थना सुन।

सब: हे पिता, हमारी प्रार्थना सुन ।

1. हम कलीसिया के अगुवे संत पिता फ्रांसिस, हमारे धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और सभी धर्मसंघियो के लिए प्रार्थना करें कि प्रभु येसु के आगमन द्वारा वे अधिक पवित्र हों और ईश्वरीय कृपा और आनन्द भर जायें। इसके लिए निवेदन करें।

2.यह आगमन काल हम हर ख्रीस्तीयों के लिए त्याग तपस्या, प्रार्थना, मेल-मिलाप, भला कार्य करने और ईश्वरीय कृपा पाने का पुण्य काल बन जाये। इसके लिए प्रार्थना करें।

3.पूरे ख्रीस्तीय सामुदायों के लिए प्रार्थना करें कि उनका विश्वास येसु ख्रीस्त पर दृढ़ हो और पूरे उत्साह और जोश के साथ सही मतलब से जन्म पर्व मनाने की अच्छी तैयारी कर सकें। इसके लिए निवेदन करें।

4.पूरे मानव जाति के लिए प्रार्थना करें कि वे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दुःख तकलीफों एवं बन्धनों से मुक्त हो जायें और सदा ईश्वर की महत्तर महिमा करते रहें। इसके लिए निवेदन करें।

5. पूरी दुनिया के लिए प्रार्थना करें कि सभी राजनीतिक नेता ईश्वरीय कृपा से आपस में एकता, मेल मिलाप, भाईचारा और शांति बनाये रखने में सक्षम हो सकें। इसके लिए निवेदन करें।

पुः हे स्वर्गिक पिता, हम पर यह अनुग्रह कर कि इस नश्वर संसार में तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के आगमन द्वारा, हम अन्धकार के कर्म त्यागकर, ज्योति के शस्त्र धारण करें तथा एक दिन स्वर्ग में अनन्त पुरस्कार पाने योग्य बन सकें। हम यह प्रार्थना करते हैं उन्हीं हमारे प्रभु खीस्त के द्वारा। आमेन।

अर्पण-प्रार्थना

हे प्रभु, हमारी भक्ति का यह बलिदान तुझे निरंतर चढ़ता रहे। यह पवित्र संस्कार हमारी मुक्ति का प्रबल साधन बने और इस प्रकार अपना उद्देश्य पूरा करे। हम यह प्रार्थना करते हैं, अपने प्रभु खीस्त के द्वारा ।

कम्यूनियन - अग्रस्तव

उदास हृदयवालों से कहो : ढारस रखो और डरो मत। देखो, हमारा ईश्वर आएगा और हमारा उद्धार करेगा ।

इसायस 35:4 कम्यूनियन के बाद प्रार्थना

हे प्रभु, हम तेरी दया की याचना करते हैं। यह दिव्य भोजन हमें बुराइयों से शुद्ध करे और आगामी पर्व के लिए हमें तैयार करे। हमारे प्रभु खीस्त के द्वारा |

चिन्तन

हमारे दैनिक जीवन में इन्तजार या प्रतिक्षा करना एक अभिन्न अंग बन गया है। जाने अनजाने रोज दिन हम किसी न किसी का इन्तजार करते हैं। अगर वह चीज या व्यक्ति हमारे लिए प्रिय और खास होता है तो इन्तजार करने में अजीब उत्साह और जोश होता है। लेकिन जब इन्तजार की घड़ी बहुत लम्बी होती है और उस चीज या व्यक्ति के साथ हमारा संबंध ठीक नहीं है तो वही इन्तजार हममें गुस्सा और हताशा पैदा करती है। हम हर ख्रीस्तीय येसु ख्रीस्त की प्रतीक्षा में हैं। हमारी मनोभाव क्या है? इसी पर विचार करने और येसु के स्वागत के लिए धैर्यवान और हिम्मतवान होने की बात आज के पाठ हमें बताते हैं।

आज का पहला पाठ नबी इसायस के ग्रन्थ से पढ़ा गया। इस पाठ का संदर्भ यह है कि इस्रायली ईश्वर की चुनी हुई प्रजा अपने पापों और उनके राजनेताओं के गलती के कारण निर्वासित किये गये हैं और वहाँ उनकी बहुत दयनीय स्थिति हो गई है। उनको लग रहा है कि अब उनका अस्तित्व और पहचान सब खत्म हो गया है और इस स्थिति से उनको कोई नहीं बचा सकता है। वे पूरी तरह से हताश और निराश हैं। इस महौल में नबी इसायस उन्हें बताते हैं कि वे हिम्मत न खोयें। न घबरायें। धैर्य बनाये रखें क्योंकि उनको बचाने वाला आ रहा है। वह उनका रक्षक होगा। वह उनका पक्ष ले कर न्याय करेगा और उनके विरोधियों का विनाश करेगा। जो भी उनका कष्टदायक स्थिति थी वह आनंद में बदल जायेगा और ये सब ईश्वर के सामर्थ्य से होगा। नबी इसायस की यह भविष्यवाणी येसु ख्रीस्त दुनिया के मुक्तिदाता के आने के संबंध थी। वर्तमान मे हमारी क्या स्थिति है? क्या हम चकाचौंध वाली दुनिया में भ्रमित और बेकार की चीजों से भयभीत नहीं हैं? हम येसु के हमारे मुक्तिदाता के जन्म दिन की यादगारी मनाने की तैयारी में लगे हुए है। वे इस दुनिया में आये और हमें पापों और दुनिया के हर बुराइयों से बचायें हैं। वे अपने शिक्षा और जीवन द्वारा हमें बतायें और सिखायें हैं कि हमें क्या करना चाहिये। अतः हम उस प्रभु येसु पर विश्वास करें उनके शिक्षा और मूल्यों को अपने दैनिक जीवन में जीयें। दुनियायी प्रलोभनों और पापों से दूर रहें। प्रेम और सेवाभाव को अपना कर जीवन जीयें। जब हम ऐसा करेंगे यही हमें सभी भ्रम और भय से बचायेगी और सच्ची आनंद, खुशी और मुक्ति के मार्ग पर ले जायेगी। क्या हम उस मसीहा को मानने उसके शिक्षा के आधार पर चलने को तैयार हैं?

आज का दूसरा पाठ संत याकूब के पत्र से पढ़ा गया। इसमें संत याकूब बहुत ही व्यवहारिक बाते बताते हैं। वे सभी ख्रीस्तीयों से आग्रह करते हैं कि हर परिस्थिति में वे धैर्य रखें और हिम्मत न हारे। आशा और उम्मीद बनायें रखें जैसे किसान बीज लगाने और उसके विकास के लिए सभी जरूरत पूरा करने के बाद अच्छा फसल पाने के लिए आशा रखता है। हम एक खीस्तीय हैं और खीस्तीयों की पहचान है 

ईमानदारी और सच्चाई का जीवन जीना । खीस्त के मूल्यों को जीते हुए सब लोगों में उसके प्रेम, सेवा, दया और क्षमा को बाँटना । एक सच्चा जीवन जीने के लिए सभी चुनौतियों को स्वीकार करना । एक शब्दों में कहें तो दूसरों के लिए आर्दश बनना। ये सारी चीजें हम क्यों करें? ये सब हम अनन्त जीवन पाने के लिए करें, जो संसारिक जीवन समाप्त करने के बाद इनाम स्वरूप हमें मिलेगा।

आज का सुसमाचार संत मत्ती के सुसमाचार से पढ़ा गया। इसमें हमें दो बातें बताई गई है। पहला क्या येसु ख्रीस्त वही मसीहा हैं जो आने वाले थे। दूसरा इस दुनिया में योहन बपतिस्ता से बड़ा कोई नहीं पैदा हुआ है। ये हमें क्यों बताई गई? ताकि हम जाने कि येसु ख्रीस्त और योहन बपतिस्ता कौन हैं। उन्होंने इस जगत में आकर क्या किया और कैसे वे हमारे लिए आर्दश हैं। जब योहन बपतिस्ता के शिष्य येसु खीस्त से पूछे कि क्या आप वही मसीहा हैं जो आने वाले थे या फिर हम किसी और की प्रतीक्षा करें? इसका जवाब येसु सीधे शब्दों में नहीं दिये। वे अपने प्रेरिताई के प्रभावों को बताते हैं । अन्धे देखते हैं, बहरे सुनते हैं आदि। ऐसा क्यों? ताकि वे स्वयं येसु के प्रेरिताई कार्यों को देखे, जानें और महसूस करें और अपने विश्वास में दृढ़ हों। ये बाते हमारे लिए भी हैं। हम येसु के समय नहीं थे पर उन्होंने जो किया उसे जानें, उस पर विश्वास करें और उसे मानें। आगे येसु ख्रीस्त योहन बपतिस्ता की प्रशंसा करते हैं और लोगों को उनके बारे में बताते हैं। यहाँ येसु एक बड़ी बात कहते हैं कि जो अपने को नम्र बनाता है छोटा समझता और ईश्वर पर विश्वास करते हुए ईमानदारी और सच्चाई का जीवन जीता है वह स्वर्गराज्य में योहन बपतिस्ता से भी महान और बड़ा होता है। योहन बपतिस्ता येसु के अग्रदूत थे। वे से बड़े थे फिर भी अपने को छोटा समझा। उन्होंने येसु के स्वागत हेतु लोगों को पश्चाताप का उपदेश दिया। बेधड़क सच्चाई और नैतिकता की घोषणा की और उसके लिए अपना प्राण भी दे दिया। इस तरह वे हम सबों के लिए आर्दश बन गये।

अतः आईये, इस आगमन काल में संत योहन बपतिस्ता के आर्दशों पर चलते हुए येसु के कार्यों को करें। उनका साक्षी बनें और लोगों को अपने जीवन और आचरण से बतायें कि हम येसु मसीह के अनुयायी हैं और आगमन काल में यही हमारी वास्तविक तैयारी होगी। आमेन ।

 

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