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SUNDAY LITURGY IN HINDI

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राँची महाधर्मप्राँत  प्रभु - प्रकाश का पर्व  08 जनवरी, 2023

वर्ष 1 (A) अंक - 118

प्रवेश-अग्रस्तवः

सर्वशक्तिमान् प्रभु आ रहे हैं। प्रभुता, सामर्थ्य और जगत् का आधिपत्य उनके हाथ में है। मलाकी 3:1, 1 इतिहास 29:12

पुः प्रिय भाइयो और बहनों, आज माता कलीसिया प्रभु - प्रकाश का पर्व मनाती है। यह पर्व येसु का पूरी दुनिया के लिए प्रकट होने का पर्व है। इसका मतलब, येसु ख्रीस्त किसी खास जाति या वर्ग या देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के मानवजाति को मुक्ति देने के लिए इस दुनिया में आये। आज की पूजन विधि हमें चार बिन्दूओं पर गौर करने के लिए निमंत्रण देती है। पहला तीन ज्ञानियों द्वारा बालक येसु की खोज करना । दूसरा तारे द्वारा निर्देशित होना, तीसरा उसे पाकर उसकी आराधना और स्तुति करना और चौथा उसे सोना, लाबान और गंधरस का उपहार देना। ये तीन ज्ञानी गैर यहूदी थे पर मसीहा मुक्तिदाता की खोज में वे अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिये। वे अद्भुत तारा का पीछा किये। उसे पाने के लिए वे हर तरह की तकलीफ और कष्ट उठाने के लिए तैयार हुए। उसे पाकर उन्हें दण्डवत किये और उपहार दिये। हमारी क्या स्थिति है ? क्या ईश्वर को हम खोजते है? उसे हम कहाँ और कैसे खोजते हैं? ईश्वर को पाने और उसे खुश करने के लिए हम किस हद तक जाते हैं ? उपहार स्वरूप हम उसे क्या देते हैं? इन सवालों पर विचार करते हुए कुछ क्षण मौन होकर अन्त:करण की जाँच करें।

संगृहीत प्रार्थना

महिमागान लिया जाता है।

हे ईश्वर, इसी दिन तूने तारे के माध्यम से राष्ट्रों के समक्ष अपने इकलौते पुत्र को प्रकट किया। हम सब विश्वास के द्वारा तुझे जान चुके हैं। तेरी दया से हम स्वर्ग में तेरे तेजोमय मुखमंडल का दर्शन कर सकें। ऐसी कृपा कर, हमारे प्रभु तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के द्वारा, जो तेरे तथा पवित्र आत्मा के संग एक ईश्वर होकर युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

पहला पाठ

इसायस नबी भविष्यवाणी करते हैं कि येरुसालेम पर ज्योति का उदय होगा और वह ज्योति दुनिया का अंधकार दूर करेगी। यह मसीह के आगमन की भविष्यवाणी है।

नबी इसायस का ग्रंथ 60:1-6

"प्रभु की महिमा तुझ पर उदित हो रही है । "

येरुसालेम! उठ कर प्रकाशमान हो जा! क्योंकि तेरी ज्योति आ रही है और प्रभु - ईश्वर की महिमा तुझ पर उदित हो रही है। पृथ्वी पर अंधेरा छाया हुआ है और राष्ट्रों पर घोर अंधकार, किन्तु तुझ पर प्रभु उदित हो रहा है, तेरे ऊपर उसकी महिमा प्रकट हो रही है। राष्ट्र तेरी ज्योति की ओर आ रहे हैं और राजा तेरे उदीयमान प्रकाश की ओर। चारों ओर दृष्टि दौड़ा कर देख ! सब मिल कर तेरे पास आ रहे हैं। तेरे पुत्र दूर से चले आ रहे हैं; लोग तेरी पुत्रियों को गोद में उठा कर लाते हैं। यह देख कर तू प्रफुल्लित हो उठेगी, तेरा हृदय आनन्द से उछलने लगेगा; क्योंकि समुद्र की सम्पति और राष्ट्रों को धन-दौलत तेरे पास आ जायेगी। ऊँटों के झुंड और मिदयान तथा एफा की साँड़नियाँ तुझ में उमड़ पड़ेंगी, शेबा के सब लोग, प्रभु की स्तुति करते हुए, सोने और लोबान की भेंट ले आयेंगे। 

प्रभु की वाणी।

भजन  स्तोत्र 72:1-2, 7-8, 10-13

अनुवाक्यः हे प्रभु! पृथ्वी के सभी राष्ट्र तेरी आराधना करेंगे।

1 हे ईश्वर! राजा को अपना न्याय अधिकार, राजपूत्र को अपनी न्यायशीलता प्रदान कर, जिससे वह तेरी प्रजा पर न्यायपूर्वक शासन करें और पद्दलितों की रक्षा करें।

2 उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा - फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी। उनका राज्य एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जायेगा।

3 तारशीश और द्वीपों के राजा उन्हें उपहार देने आयेंगे। शेबा और सबा के राजा उन्हें भेंट चढ़ायेंगे। पृथ्वी के सभी राजा उन्हें दंडवत् करेंगे, सभी राष्ट्र उनके अधीन रहेंगे।

4 वह दुहाई देने वाले दरिद्रों और पद्दलितों की रक्षा करेंगे। वह निस्सहाय और दरिद्र पर तरस खा कर पद्दलितों के प्राण बचायेंगे ।

दूसरा पाठ

यहूदिया के धर्मग्रंथ में मसीह की प्रतिज्ञा है। वह मीह न केवल यहूदिया के लिए, बल्कि सभी मनुष्यों के लिए दुनिया में आये।

एफ़ेसियों के नाम संत पौलुस का पत्र 3:2-3, 5-6

'अब यह प्रकट किया गया है कि ग़ैर-यहूदी ख्रीस्त - विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं। " भाइयो! आप लोगों ने अवश्श्य सुना होगा कि परम दयालु ईश्वर ने आपकी भलाई के लिए मुझे यह कार्य सौंपा है। उसने मुझ पर रहस्य प्रकट किया है जो पिछली पीढ़ियों में मनुष्यों को नहीं बताया गया था और अब आत्मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों पर प्रकट किया गया है। वह रहस्य यह है कि सुसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ ग़ैर-यहूदी एक ही विरासत के अधिकारी हैं, एक शरीर के अंग हैं और येसु मसीह- विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं।

प्रभु की वाणी ।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! हमने उनका तारा उदित होते देखा है। हम उन्हें दंडवत् करते आये हैं। अल्लेलूया! 

सुसमाचार

यहूदी नेता मसीह की प्रतिज्ञा के विषय में जानते थे, किन्तु उन्होंने उनका पता लगाने की कोशिश नहीं की। विदेशी ज्योतिषी धर्मग्रंथ के विषय में कुछ नहीं जानते थे, फिर भी वे मसीह को खोजने आये। 

संत मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 2:1-12

"हम राजा की आराधना करने के लिए पूर्व से आये हैं।"

 येसु का जन्म यहूदिया के बेथलेहेम में राजा हेरोद के समय में हुआ इसके बाद ज्योतिषी पूर्व से येरुसालेम आये और कहने लगे, यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं? हमने उनका तारा उदित होते देखा है। हम उन्हें दंडवत् करने आये हैं।" यह सुन कर राजा हेरोद और सारा येरूसालेम घबरा गया। राजा ने सब महायाजकों और यहूदी जाति के शास्त्रियों की सभा बुला कर उन से पूछा " मसीह कहाँ जन्म लेंगे?" उन्होंने उत्तर दिया “यहूदिया के बेथलेहेम में, क्योंकि नबी ने इसके विषय में यह लिखा है - हे बेथलेहेम, यूदा की भूमि ! तू यूदा के प्रमुख नगरों में किसी से कम नहीं है; क्योंकि तुझ में एक नेता उत्पन्न होगा, जो मेरी प्रजा इस्त्राएल का चरवाहा बनेगा । " हेरोद ने बाद में ज्योतिषियों को चुपके से बुलाया और उन से पूछताछ कर यह पता कर लिया कि वह तारा ठीक किस समय उन्हें दिखाई दिया था। फिर उसने उन्हें बेथलेहेम भेजते हुए कहा, " जाइए, बालक का ठीक-ठीक पता लगाइए; और उसे पाने पर मुझे ख़बर दीजिए, जिससे मैं भी जा कर उसे दंडवत् करूँ"। वे राजा की बात मान कर चल दिये। उन्होंने जिस तारे को 

उदित होते देखा था, वह उनके आगे-आगे चलता रहा, और जहाँ बालक था, उस जगह के ऊपर पहुँच कर ठहर गया। वे तारा देख कर बहुत आनन्दित हुए। घर में प्रवेश का उन्होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और साष्टांग प्रणाम किया। फिर अपना-अपना संदूक खोल कर उन्होंने उसे सोना, लोबान और गंधरस की भेंट चढ़ायी । उन्हें स्वपन मेंयह चेतावनी मिली कि वे हेरोद के पास लौटें। इसलिए वे दूसरे रास्ते से अपने देश चले गये ।

प्रभु का सुसमाचार ।

धर्मसार

पु० मैं स्वर्ग और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता

सबः सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर, और उसके इकलौते पुत्र अपने प्रभु येसु ख्रीस्त में विश्वास करता (करती ) हूँ, ('जो पवित्र आत्मा के द्वारा ....से जन्मा' शब्दों तक एवं अंतर्विष्ट सब लोग नतमस्तक होते हैं। ) जो पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया, कुँवारी मरियम से जन्मा, पोंतुस पिलातुस के समय दुःख भोगा, क्रूस पर चढ़ाया गया, मर गया और दफनाया गया; वह अधोलोक में उतरा, और तीसरे दिन मृतकों में से फिर जी उठा; वह स्वर्ग में आरोहित हुआ और सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर के दाहिने विराजमान है; वहाँ से वह जीवितों और मृतकों का न्याय करने आएगा। मैं पवित्र आत्मा, पवित्र काथलिक कलीसिया, धर्मियों की सहभागिता, पापों की क्षमा, देह का पुनरूत्थान और अनंत जीवन में विश्वास करता (करती) हूँ। आमेन।

विश्वासियों के निवेदन

प्रिय भाइयो और बहनों, ईश्वर अपने बेटे येसु ख्रीस्त को गैर यहुदियों पर प्रगट किये। तीन ज्ञानियों ने उसके पास उसके पास आये, उसकी प्रभुत्व को पहचाना और उनका साष्टांग प्रणाम किया। आइये, पास आये उसकी प्रभुत्व को स्वीकार करते हुए अपने जरूरतों के लिए उनसे निवेदन करें और कहें-

 सब: हे पिता हमारी प्रार्थना सुन ।

1. हमारे संत पिता फ्रांसिस, विशपगण, पुरोहितों, धर्मसंघियों और प्रचारकों के लिए प्रार्थना करें ताकि उनका जीवन एक पवित्र चमकीला प्रकाश बनें जिससे लोग उन्हें देखकर ईश्वर के पास आ सकें। इसके लिए ईश्वर से निवेदन करें।

2. हम सब ख्रीस्तीय सामुदायों के लिए प्रार्थना करें ताकि गैर - खीस्तीय लोग उनके जीवन को देख और उनसे प्रभावित होकर सच्चे ईश्वर को जान सकें और उनसे जुड़ सकें। इसके लिए निवेदन करें

3. हम अपने लिए प्रार्थना करें कि हम रोज दिन अपने ईश्वरीय विश्वास में मजबूत होते जायें और एक सच्चा ख्रीस्तीय होने का आनन्द महसूस कर पायें। इसके लिए प्रार्थना करें।

4. उनके लिए प्रार्थना करें जिनका कोई नहीं हैं और जो अपने जीवन से हताश और निराश हैं। ईश्वर उनका सहारा और आशा बनें। वे प्रभु वचनों को सुने जिससे वे ईश्वर को जान सकें, उसके प्रेम को महसूस कर पायें और उन्हें जीने की नई आशा और उम्मीद मिले। इसके लिए निवेदन करें।

5. दुनिया के सभी लोगों के लिए प्रार्थना करें कि वे प्रभु ख्रीस्त को पहचान सकें और उसके शिक्षा और मूल्यों को स्वीकार कर उसके आधार पर अपने जीवन को जी सकें और एक दिन मुक्ति पा सकें। इसके लिए निवेदन करें।

पुः हे प्रेमी प्रभु आपका प्रकाश हमारे जीवन में प्रकट हुआ है। उसी से प्रकाशित हो कर हम आपको जान गये हैं। हम आपके प्रभुत्व और सामर्थ्य पर विश्वास करते हैं और उसी से प्रेरित होकर ये दीन प्रार्थनाओं को तुझे चढ़ाते हैं तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के द्वारा । आमेन।

अर्पण-प्रार्थना

हे प्रभु, अपनी कलीसिया के इन दानों पर दयादृष्टि डाल । अब हम तुझे सोना, लोबान और गंधरस के उपहार नहीं चढ़ाते हैं। ये तो हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त के प्रतीक मात्र हैं। हम तुझे स्वयं प्रभु खीस्त को अर्पित करते हैं, जो हमारी बलि और भोजन बन गये हैं। वह युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

कम्यूनियन-अग्रस्तव

हमने पूर्व में प्रभु का तारा उदित होते देखा है। हम उपहार लेकर दंडवत् करने आये हैं। मत्ती 2:2

कम्यूनियन के बाद प्रार्थना

हे प्रभु तेरा स्वर्गिक प्रकाश सदा और सर्वत्र हमारे आगे-आगे चमकता रहे, ताकि हम पवित्र यूखरिस्त का रहस्य गहराई से समझ पाएँ और उसे श्रद्धा एवं सच्चे प्रेम से ग्रहण करें। हमारे प्रभु खीस्त के द्वारा ।

चिन्तन

मानव जीवन एक तालाश है। कोई सुख-शांति की तालाश कर रहा है तो कोई अपने जीवन के दुःख तकलीफ या बेचैनी से छुटकारा पाने की तालाश में है। इस तालाश को शांत करने के लिए हर जन अपने तरीके से प्रयास कर रहे हैं। घंटो मोइबल या मीडिया में व्यस्त, नशीली चीजों का सेवन, मौज मस्ती, लापरवाह और अनैतिक जीवन, ये सब इसी तालाश को पूरा करने का तरीका है। आज हम प्रभु प्रकाश का पर्व मना रहें हैं। हम मानव के इसी तालाश को सही दिशा देने के लिए मुक्तिदाता प्रभु येसु इस दुनिया में एक साधारण मानव बनकर जन्म लिये। जिन्होंने उसे पहचाना, जो अपने जीवन में उन्हें जगह दिये, वे धन्य हो गये और उनका जीवन सफल हो गया और उनकी तालाश पूरी हो गई। आज के पाठ इन्हीं बातों पर हमारा ध्यान ले जाते हैं और हमें प्रभु की खोज करने और उसे पाकर अपने आर्दश जीवन का उपहार देने की चुनौती देते हैं।

आज का पहला पाठ नबी इसायस के ग्रन्थ से पढ़ा गया। इस पाठ में येरूसालेम नगर की भविष्य में होने वाली भव्य महिमा की बात की गई है। यह नगर ईश्वर का निवास स्थान होगा इसलिए लोग ईश्वर की तालाश करते हुए और अपने साथ तरह तरह के कीमती उपहार लेकर वहाँ आयेंगे और ईश्वर की दण्डवत और स्तुति करेंगे। ये बातें येसु ख्रीस्त मुक्तिदाता के आने से पूरा हुआ। जो सच्चे मन दिल से मुक्तिदाता के इन्तिजार और तालाश में थे उन्हें येसु ख्रीस्त के रूप में वह मिला। क्या हम अभी भी प्रभु और मुक्तिदाता की तालाश में हैं? अगर उसे पाना चाहते हैं तो हमें येसु ख्रीस्त पर विश्वास करना होगा और अपने को उसे पूर्णरूप से समर्पित करना होगा। ऐसा करने से हमारी वह पवित्र मनोकामना पूरी हो सकती है।

आज का दूसरा पाठ एफेसियों के नाम संत पौलुस के पत्र से पढ़ा गया। इसमें संत पौलुस ईश्वर की महानता को बताते हैं कि कई पीढ़ियों से जो बात गुप्त और रहस्य थी वह येसु मसीह के इस दुनिया में आने से खत्म हो गई है और वह बात ये है कि ईश्वर पूरे मानवजाति को प्यार करता है और वह उनकी मुक्ति चाहता है। इसलिए वह अपना प्यार दिखाने और लोगों को मुक्ति के मार्ग पर ले जाने के लिए अपने एकलौते बेटे येसु ख्रीस्त को इस दुनिया में भेजा । जो एक साधारण मनुष्य बनकर गोशाले घर के एक चरनी में असहाय रूप में जन्म लिया। वे पाप को छोड़कर हर तरह से हमारी तरह बन गया। जिन्होंने इस रहस्य को खुले मन दिल से जानने और खोजने लगे उनकी मुरादों को वे पूरा किये। इनके उदाहरण सभी नबी और संतगण है। संत पौलुस भी उन्हीं में से एक हैं। इससे ये बात स्पष्ट होती है कि जो कोई मसीह विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी होना चाहते हैं वह अभी भी संभव है बस उन्हें येसु मसीह की शिक्षा और मूल्यों के आधार पर चलना होगा। सच्चे मन दिल से येसु को तालाशना होगा और उसे जीवन में स्थान देना होगा।

आज के सुसमाचार में तीन ज्योतिषियों या ज्ञानियों द्वारा यहूदियों के नवजात राजा की तालाश करते हुए पाते हैं। उनका कहना होता है कि वे नवजात राजा के जन्म का संदेश एक तारे के उदित होने से पाये और वे उनका दण्डवत् करना चाहते हैं। वे ज्ञानी गैर यहुदी थे, पर उस मुक्तिदाता मसीह की खोज करने और उसकी आराधना करने के लिए बहुत अधिक उत्साहित थे। वे दूर देश से सभी प्रकार विघ्न बाधाओं को सहते और पार करते हुए आये थे। वे ऐसा करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे। वे राजा हेरोद से मिले और इसके संबंध में उन्हें जानकारी दी और उनके राज्य के विद्वानों को हैरानी में डाल दिये। नवजात राजा को राजमहल में नहीं पाने पर वे हताश और निराश नहीं हुए बल्कि वे अपनी तालाश जारी रखे रहे। वह अद्भुत तारा उनका मार्गदर्शन करता रहा और अंत में उनका मकसद पूरी हुई। वे उस नवजात राजा को बालक येसु के रूप में माता मरियम के साथ पाये और उसे साष्टांग प्रणाम किये और अपना संदूक से सोना, लोबान और गंधरस निकाल कर उन्हे भेंट चढ़ाये। ये सारी बातें कितनी अद्भुत है। एक छोटे नन्हें बालक के सामने तीन बड़े ज्ञानी और राजा नतमस्तक हुए 

और कीमती उपहार दिये। येसु से उनकी ये मुलाकात उन्हें आनन्द और उत्साह से भर दिया और उन्हें नई आशा और सपने दिये।

आज का ये पर्व तीन सच्चाईयों को हमारे सामने रखते हैं-

1. ईश्वर किसी एक विशेष जाति या देश के लोगों का ईश्वर नहीं पर पूरे मानवजाति का ईश्वर है और सबों को समान रूप से प्यार करता है।

2. ईश्वर हमसे बहुत दूर स्वर्ग में नहीं, बल्कि हमारे बीच में ही हैं।

3.अगर हम ईश्वर को पाना चाहते तो उसे खोजने के लिए बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है उसे हम हर नन्हें बालक में पा सकते हैं।

अतः आइये, कृतज्ञभाव से इस मिस्सा में भाग ले और सोना, लोबान और गंधरस के बदले में अपने पवित्र जीवन और अपने नेक इरादों को भेंट के रूप में ईश्वर को चढ़ायें आमेन।

 

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